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SHRI SHANTI VIDYA DUGDH DHARA GOSHALA

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संत शिरोमणी १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज
के आशीर्वाद से बनी
श्री शांतीविद्या दुग्ध धारा गोशाला
दहेगांव बंगला, ता. गंगापूर जि. औरंगाबाद
का उद्देश
आर्थिक नहीं, अहिंसा प्रेमियों के लिए शुद्ध सात्विक दूध, घी आदि उपलब्ध करवाना है। आज अहिंसा प्रेमियों के धन का उपयोग मुर्गीपालन, कत्तलखानों, मछली पालन आदि हिंसात्मक कार्यों में हो रहा है। उससे बचने का सर्वोत्तम उपाय 'शांतिविद्या' है।
प्राचीन काल में जिसके पास ज्यादा गायें होती थी, वही संपत्ति शाली माना जाता था, गाय से यह देश मंगल का स्थान बन गया था गाय के बिना आज अमंगल हो रहा है। देश में भारत के डॉ. वकील, ग्रंथकार, पत्रकार, बुद्धिजीवी, विद्वान, नेता सामाजिक कार्यकर्ता, सर्व्हिसमेन, बिजनेस मेन, गाय के पालन में सहयोग करें यह महत्वपूर्ण जीव रक्षा का कार्य है।
आजकल गृहस्थों ने गाय रखना बंद कर दी है कार, मकान, दूकान, कपड़े, सप्त व्यसन, जुआँ, शराब आदि में पैसा बर्बात कर रहे है। लेकिन एक गाय नहीं रख पा रहे है । गाय के दूध से कैंसर, कोलेस्ट्रॉल, हृदय रोग, कढ, ब्लडप्रेशर आदि बीमारियां ठीक होती है। गाय का दूध बुद्धिवर्धक होता है। २४७५० मनुष्य एक गाय के जीवन भर दूध से तृप्त हो सकते हैं।
गाय के गोबर से टी.वी., मलेरिया के कीटाणु नहीं पनपते है। विनोबा भावे जी कहते थे कि "हिन्दुस्तानी सभ्यता का नाम ही गोसेवा है। गाय के दुग्ध पदार्थों में विष को समाप्त करने की क्षमता होती है। गाय के शरीर में विषैले पदार्थों को पचाने की क्षमता होती है। अहा जिंदगी का लेख अप्रैल २००६ 'गाय और भारत' एवं 'दान चिंतामणि' एवं 'रोमांस ऑफ काऊ' पुस्तक जो सर्वश्रेष्ठ पुस्तक है अवश्य पढ़े लगभग ८००० साल पहले सिंधु घाटी में गाय को पालतू बनाये जाने से एक क्रांति आयी थी। इस तरह आप गाय की उपयोगिता के बारे में लोगों को बतायें प्रचार प्रसार करें, समाचार पत्र, इलेक्ट्रॉनिक मिडीया, प्रिंट मिडिया, पत्रिका, इंटरनेट, ई-मेल, फेस बुक, न्यूज
"
चैनल, एसएम.एस. के माध्यम से जन जन तक यह संदेश पहुँचायें।
* नवजात शिशुओं के लिए उसके दूध में वांछित तत्वों की मात्रा प्रकृति जनित है। प्रत्येक तत्व भरपूर है। उसके दूध में प्रेम और वात्सल्य भी समाया हुआ है।
* प्रकृती ने अब हर मानव को एक नहीं दो माँ दे दी हैं। यह दूसरी माँ गाय है।
हजारों वर्षों से 'गाय' हिन्दुस्तान में पूजनीय बनी हुई है। पूजनीय होने का गुण उसके अंदर प्रकृति ने उतार दिया है। भारत वर्ष में 'गाय' एक चलता-फिरता तीर्थ माना जाता है।
A-2 दूध - भारतीय वंश की देसी गाय का दूध A-2 प्रकार का जाना जाता है। यह प्रजाती भारतीय गाय में होती है इस के पिठपर वशिंड (Hump) होता है। इस दूध में प्रथीन है। A-2 बीटा केसीन स्वरूपका होने से इस दूध को A-2 दूध कहा जाता है। इस दूध में मनुष्य आरोग्य हेतू पोष्टीक प्रोलाइन (Proline) नामक अमिनो आम्ल होता
है ।
-डेव्हील इन द मिल्क (www.chleseagreen.com)
गोसेवा करने का अवसर
१) एक गाय को सालभर गोद लेने के लिये । २) जन्म दिवस और स्मरणार्थ एक दिन का चारा ।
३) प्रति दिन १० रू. गाय को चारा ३६५ दिन के लिये । ४) एक दिन का चारा ।
५) बिमार गाय की चिकित्सा एवं दवाईयाँ के लिये ।
रु.२१,०००/-
रू.११००/-
रू. ३६५०/-
रू.१५००/-
रू.५००/-
दान देकर पुण्य कमायें...!
* गाय है तो सृष्टी हैं... गाय हैं तो बारीश हैं..
गाय है तो धन धान्य है .. गाय है तो जीवन है * इस धरती पर गाय ही सब से बड़ी संपदा है....

BANK DETAILS
ACCOUNT NAME: SHRI SHANTIVIDYA DUGDHDHARA GOSHALA BANK NAME THE MALKAPUR URBAN CO-OP BANK ACCOUNT NO.: 000711010003794
BRANCH: GULMANDI, AURANGABAD-431 001 IFS CODE HDFCOCTMUCB
CONTACT: 9823576676, 9823659308 E-mail: shantividya.gaushala@gmail.com

 

देशी गाय का दूध एवं देसी गाय के दूध से बने हुए धी, छांछ और दही से शरीर में होने वाले बडी से बडी बिमारीपर होनेवाले फायदे ध्यान में लेनेहुए एवं परीक्षणों के बाद यह बात आगे आई की दूध, घी एवं दुग्धजन्य पदार्थ बाजारो में बडी मात्रा मे उपलब्ध तो है मगर व शुध्द रुप मे नही है इससे होने वाले विपरीत परिणामो से आपणा समाज बचे एवं उन्हे शुध्द रूप मे दुध व दुग्धजन्य पदार्थ आपतक पहुचाने का हम यथाशक्ती प्रयास करेंगे......
गाय के दुध
के फायदे
* गोदुध अत्यंत स्वादिष्ट, स्निग्ध, कोमल, मधुर, शीतल, रुचिकर, बुद्धिवर्धक, बलवर्धक, स्मृतिवर्धक, जीवनीय, रक्तवर्धक, तत्काल, वीर्यवर्धक, बाजीकरण, स्थिरता प्रदान करनेवाला, आयुष प्रदान करनेवाला, ओज प्रदान करनेवाला, देहकांती बढानेवाला, सर्वरोग नाशक अमृत के समान है।
* गोदुग्ध शरीर मे उत्पन्न होनेवाले जहर का नाश करता है। एलोपैथी दवाईयों, रासायनिक खाद, कीटकनाशक दवाईयों आदि से वायु, जल एवं अन्न के द्वारा शरीर में उत्पन्न होने वाले जहर को समाप्त करने की क्षमता केवल गोदुग्ध में ही है।
* गाय को शतावरी खिलाकर, उस गोदुग्ध को क्षय रोग से पीडित व्यक्ति को पिलाने से रोग समाप्त हो जाता है।
गाय का घी शरीर में सभी प्रकार के जहर को नाश करने वाला, घाव को भरने वाला, ताकतवर, हृदय के लिए लाभकारी होता है। ताजा घी अधिक सुगंधित एवं स्वादिष्ट होता है।
* गोदुग्ध कैन्सर के विषाणुओं को नष्ट करने वाला है । गोदुग्ध का सेवन हृदय रोग, कैन्सर, क्षय रोग इत्यादि बीमारियों से निजात दिलाने में सर्वोत्तम सहायक है।

* आँखो के दर्द होने पर गोदुग्ध की पट्टी रखने से दर्द समाप्त हो जाता है ।

* वर्तमान वैज्ञानिक मतानुसार गोदुग्ध में आठ प्रकार के प्रोटीन,इक्कीस प्रकार के एमीनो एसिड,ग्यारह प्रकार के चर्बीयुक्त एसिड,छः प्रकार के विटामिन,पच्चीस प्रकार के खनिज तत्व,आठ प्रकार के किण्वन,दो प्रकार की शर्करा, चार प्रकार के फॉस्फोरस यौगिक और उन्नीस प्रकार के नाईट्रोजन होते है। विटामिन-ए-१, करोटिन डी-ई, टोकोकेराल विटामिन बी-१, बी-२ राईबोफ्लेविन बी-३, बी-४ तथा विटामिन सी है। खनिजों में कैल्शियम, फॉस्फोरस,लोह,ताँबा,आयोडीन,मैग्नीज,क्लोरीन,सिलिकॉन मिले हुए हैं। एमिनो एसिड में लाइसिन, ट्रिप्टोफेन ओर हिक्वीटाईन प्रमुख हैं। दूध जो कार्बोहाईड्रेट हैं उनमे लैक्टोस प्रमुख है जो पाचन तन्त्र को व्यवस्थित रखता है । लैक्टेज इत्यादि एन्जाइम, विटामिन 'ए', 'बी', 'सी', 'डी', 'ई' और लेक्ट्रोकोम, क्रियेटीन, यूरिया, क्लोरीन फॉस्फेट, केसिनो मिश्रण इत्यादी मिलकर १०० से भी ज्यादा विशेष पदार्थ है ।
* गाय के दूध की थुली (दलिया) खाने से प्रसुता स्त्री को कोई भी रोग नहीं होता है।



गायों के लिए किया गया भव्य शेड
भारतीय मूल वंश की
देसी गायों का संवर्धन एवम्
अपाहीज, बिमार भाकड़ गायोंका
पालन-पोषण सेवार्थ गो संवर्धन - राष्ट्र संवर्धन ।
गायों को धान खिलाते हुए कर्मचारी
एक गाय अपने जीवन
काल में ४,१०,४४० मनुष्य के एक समय का भोजन जुटाती है। जबकि उसके मांस से केवल ८० नीच लोग
ही अपना पेट भर सकते है।
• स्वामी दयानंद सरस्वती
गायों का धान

 

* विज्ञान के अनुसार गोदुग्ध में मनुष्य के शरीर की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करने की क्षमता है। उसमे ४.९ % शर्करा, ३.७ % घी व ११% नाना प्रकार के एसिड है । ३.६ % प्रोटीन है जिसमें ल्युसन, ग्लूकेटिक एसिड, टिरोसीन, अमोनिया, फॉस्फोरस आदि २१ पदार्थ सम्मिलित है । ७.५ % पौटेशियम, सोडियम इत्यादि ऐसे १७ रसायन हैं।
* घर में गाय के घी का दीपक जलाने से वातावरण की अशुद्धि दूर होकर वायुमण्डल शुद्ध एवं
पवित्र बनता है।
* आधुनिक युग की माताएँ अपने बालकों को बिस्किट, चाकलेट, बबलगम, आईस्क्रीम, शीत पेय आदि खिला-पिलाकर उनके अमूल्य जीवन के साथ खिलवाड कर रही हैं । इसके बजाय वह गोदुग्ध से बने व्यंजन खिलायें तो बालक का शारीरिक मानसिक विकास उत्तम होगा।
* काली गाय का दूध त्रिदोष शामक और सर्वोत्तम है। शाम को जंगल से चरकर आयी गाय का दूध सुबह के दूध से हल्का होता है।
* गोदुग्ध से कोलेस्ट्रोल की वृद्धि नहीं होती है, बल्कि हृदय एवं रक्त प्रवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करता है ।
* जलोधर के रोगी को पानी पीना सख्त मना है वह सिर्फ गाय का दूध पीकर रहे तो रोग में सुधार होता है।
* गाय की रीढ में 'सूर्यकेतु' नामक नाडी होती है जो सूर्य के प्रकाश में जाग्रत होती है, इसलिए गाय सूर्य के प्रकाश में रहना पसंत करती हैं, भैंस छाया में रहती है। सूर्यकेतु नाडी के जागृत होने से स्वर्ण के रंग का वह एक पदार्थ छोडती है। इसी कारण गाय के दूध का रंग पीला होता है और घी 'स्वर्ण' के रंग का होता है जो सर्वरोगनाशक और विष विनाशक होता है ।
* गाय का गर्मागर्म दूध-घी-हल्दी मासपेशियों के दर्द एवं हड्डी की चोट में फायदेमंद होता है ।
* चाँदी के प्याले में गाय का दूध जमाकर उसका ताजा दही माँ को खिलाने से संतान विकलाँग और मंदबुद्धी नहीं होगी ।
* ४ बुँद गाय के घी से ९० से अधिक रोगों का उपचार विशेषज्ञ बताते है ।
*हमेशा गाय की घी से ९० से अधिक रोगों का उपचार विशेषज्ञ बताते है ।
* हमेशा गाय की घी खाना चाहिये क्योंकि दो-दो बूँद गाय का गुनगना घी नाक में  लाभ होता है । ध्यान रहे यह घी दही मथकर बनाया हुआ चाहिये ।

अदभूत
• गाय के घी से सिरदर्द, कान दर्द, आँखो के रोग, सायनस, एलर्जी, थकान, बाल झडना, तनाव, स्मरणशक्ति आदि रोगों में भी लाभ होता है।
* गाय के दूध को पीने से थायराईड नहीं होता है। क्योंकि गाय के दूध में थायरॉईड ग्लाण्ड
का अंश भी मिलता है, जिससे शरीर में स्फूर्ति तेजी से उत्पन्न होती है।
'गाय पर प्रेम से हाथ फेरने से दो महिने में उच्च रक्त चाप बिल्कुल ठीक हो जाता है। गाय भी अधिक दूध देने लगती है ।